“चौमासा के भजन ”

ये भजन जेठ सुद १० (दसम) से शुरु होकर आसोज वद १० (दसम) तक चलते है |

ए) “दसम के दिन वीरघंटा के नीचे बोले जाने वाला भजन ”

अब तो जाईयेरा सोनारा रुपनारायण .......................
राये रुपराये सुकराती रतवा .......................

बी) “चौमासा में रसोडा के पास बोले जाने वाला भजन ”
अबमोए द्वार का रा लाल हो कानजी शम्भुराधे प्यारी .......................

सी) “चौमासा में मंदीर के पीछे बोले जाने वाला भजन”
इन्द्रघटओ असाड आयो हरि बोलो मेरा श्याम .......................

डी) “चौमासा में घरुपोल के पास बोले जाने वाला श्रावण और श्लोक”

आवो असाड रत रो हिन्दोलणो एक रेण की गमगोर .......................
रुपनारायण रुप हे, दुजा स्वरुप .......................
आवो सरसत गलिया जो राधे गोविंदा .......................

ई) “चौमासा में हनुमानजी के पास बोले जाने वाला भजन”
एक बात सुणो ब्रजनारी ओ एक वात सुणोनी ब्रजनारी .....................

एफ) “चौमासा में गेररा चौक में बोले जाने वाला भजन”
राजा रे प्यारा माने लागोओ राजा रुपजी .......................

जी) “चौमासा में वीरघंटा के नीचे (भगवान के वापस पधारने पर) वाला भजन”

एगावो नी मंगल गावो नी विदईयो .......................
एगावो नी मंगल गा दई



माघ सुदी दसम (१०) के दिन वीरघंटा के नीचे का भजन”

अबतो जाइयेरा सोनारा रुपनारायण
अब दरसण दीज्यो ने हीयो सुख उपजे
हारे हा दरसण दरमल होई
अबमाता जो आपरी वाता सुणीजे
अब सेजनाथ ज्यारो
अबददेवल श्याम सुकलश वन्दावो ए
अब जाईयेरा सोनारा रुपनारायण

सखी नन्द कुमार ब्रज की नार
सखी कलश वन््दावो ए ब्रज की नार
सखी पुसब वन्दावो ए ब्रज की नार
आवो आम्बे मोर कसनार जो फूली
...............फुलाग सहीए ए सभी कलश बन््दावो ए ब्रज की नार ||
आवो नवनव सीर कसूम्बल पेश
................पेरणसहीएए सभी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार | |
आवो ताल मरदंग हसली जो वाजे
.................बाजण सहीए एसभी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार ||
आवो राधा नरुकमण फाग जो खेला
...............खेलण सहीए ए सखी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार ||
आवो महंत कबीरा सुणो रे भाई साधु हरिचरणा गुणे गई ओ
.......................एसखी कलश वन्दावो ए ब्रज की नार | |



“राये रुप राये सुकराती रतवा”

राये रुप राये सुकराती रतवा
अब डकणी रा सीर काजलिया री रेखा
राये रुप राये सुकराती रतवा
राधाजी रो सीर कदम्ब पर हे रो
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब ढोल नगांरा शहणाई जो वाजे
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब हसती घोडा ओ प्रभु संग मे जो चाले
राये रुप राये सुकूराती रतवा
अब द्वारका पुरी ओ प्रभु नेसाणा ओ आवे
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब मोर मुकूट पर कुन्डल शोभा
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब दुरा देशा रा प्रभु जातरु आवे
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब जल झुलनी ओ प्रभु वेगा पधारो
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब जल झुलनीओ प्रभु जुलवा पधारो
राये रुप राये सुकराती रतवा
अब देवाजी के ओ प्रभु रुपनारायण
राये रुप राये सुकराती रतवा

“चौमासा मे रसोडा के पास का भजन (कन्याशाला के पास)”

अब मौए द्वारका रा लाल हो कानजी शम्भू राधे प्यारी
अब तो सुती ने सपनो आवि यो राधे उबी अरज कर
अब जागोनी पल में प्रेमरा ओ राधे नेणा आगल उब्राजो कानजी शम्धू राधे प्यारी
अब तो वीरा तो वटाऊ पामणा ओराधे फगुआ जे जे हजूर
अब तो दूध नी धावे वासरुओ राधे किण विध छोडेला धीनओ
..........................कानजी शम्भू राधे प्यारी
अब तो अनरावन में खेलताओ राधे दे दे मुरली री तान
अब तो गोष्या जेडा बालमा ओ राधे मोत्या वचली लालओ कानजी शम्भू राधे प्यारी
अब तो वारी ओ जाऊमी गणो राधे, मगरा बोले अब मोर
अब आगन वाऊ एलसी ओ राधे पनघट नागर वेल
अब तो वीजजो चमके मी गणो राधे आयो श्रावण मास ओ कानजी शम्भू राधे प्यारी
अब तो आसाज मास सुहावनो राधे झरमर वरसे अब मेघ
अब तो जलराओ मोती नीप जेओ राधे, सीप समन्दर मास
......................पाके ओ कानजी शम्पू राधे प्यारी
अब तो काती तो कृष्ण पधारिया ओ राधे आनन्द आनन्द होय
अब तो दया करी ने प्रभू सुणलिज्यो खेमदास बलिहारी ओ कानजी शम्भू राधे प्यारी

“चौमासा मे मन्दिर के पीछे बोलने का भजन”

इन्द्रघटाओ असाड आयो हरि बोलो मेरा श्याम इन्द्रघटाओ असाड आयो
नेनी नेनी बून्द पडत अणी ब्रज पे
भीजे मेरा कुवँर कन्हैया हरि बोलो मेरा श्याम मेहर घटाओ असाड आयो
आवो को ण्यो इन्द्र आज एसो अणी ब्रज पे
ब्रज को लेऊ नेवाय हरि बोलो मेरा श्याम मेहर घटाओ असाड आयो
आवोएक नख पर गिरवर धारयो
इन्द्र को गरब हरायो हरि बोलो मेरा श्याम इन्द्रघटाओ असाड आयो
आवोसुरदास प्रभु तुमरे भजन से
राधेजी खेले कन्हैया हरि बोलो मेरा श्याम मेहर घटाओ असाड आयो

“श्रावण”

नोट : फागो की अमावस को अंतिम में श्रावण बोला जाता है ।

आवो असाड रत रो हिन्दोलणोए, रेण की गमगोर
आवो मेघ गरजे वीज चमके आज डाडर मोर मुरली मधुरी
........................हर लाल श्रावण आयो लुम्ब जूम्ब |
आवोचालो सखी आप जल भर वा चाला, चाला सोरमजी रे घाटओ
आवो देखो झुलत गोपी ग्वाल जुले गिरधर लाल मुरली मधुरी
......................हर लाल श्रावण आयो लुम्ब जुम्ब |
आवो श्रावण आयो ए सखी फूली सब वनराय
फूल्या मरवा मोगरा फूली दाणम दाख मुरली मधुरी
हरलाल श्रावण आयो लुम्ब जुम्ब |
आवो कागज आयो ने लखनी पायो, लख भेजोवण देश
आवो लिखत सब ओपमाओ प्यारा, लिखोनी सर्व सन्देश मुरली
............................मधुरी हरलाल श्रावण आयो लुम्ब जुम्ब |
आवो रोज सुनी ने कहयो नही माने, अंग बागिया वेश
आवो उजरगाव कुमार मेता उलट्या मन भावियो
आवो आप जाए प्रभु द्वारका वसिया अंगबाजी रा वेद
आवो माने मारी सेज सईओ प्यारा, माने है प्रभुजी री आस मुरली मधुरी
............................हरलाल श्रावण आयो लुम्ब जुम्ब |

“धरुपोल के श्लोक”

नोट : “प्रत्येक दसम (१०) को धरुपोल पर बोले जाने वाले श्लोक”

रुपनारायण रुप है दुजा रुप स्वरुप |
माथे मस्तक रुप है सुकरत रे रशिया |।
क्यु जीव डगमग धीरज क्यु नी धरे |
सोचा सरवर रुप है सुकरत रे रशिया ।|
आडा रे डुगंरगणा गडा तपे ओ रुप |
राधव राजा रुप है सुकरत रे रशिया ||
रुपनारायण भेजिया, जद डालीवर मिट जाए |
चरणे राखो सावरा सुकरत रे रसिया ||
रुपनारायण ज्या बसे ज्या घर कचंन कमला होईल |
मे बलिहारी देश मे सुकरत रे रशिया ||
सेंवत्री मथुरापूरी गडा बसे ओ गाव |
राजम राजा रुप है सुकरत रे रशिया ||
गोमती गरडो नीचजे शीतल अम्बासार |
भाई चत्रभुत कारणे सोई रे रशिया ||

“आवो सरसत मलिया ओ राधे गोविंदा”

आवो सरसत मलिया ओ राधे गोविंदा
             आवो गढ़से ग्वालन प्रभु उतरी
ज्यारे माथे है दहीडा रो सेजे मार सरसत मलिया ओ राधे गोविन्दा
             आवो खडी रे ग्वालन प्रभु गुजरी
में तो लेस्या दहीडा रो सेले दान आवो सरसत मलियाओ राधे गोविंदा
            आवो नेणा सुजत मोती भरिया
ओ मे तौ कबहून देऊ थाने पान आवो सरसत मलियाओ राधे गोविंदा
            आवो खास बनावट प्रभु खोपरा
मे तो लेस्या दहीडा रो सेजे दान सरसत मलियाओ राधे गोविंदा
            मे तो जाय पुकारु राजा कंसने
             ए थाने पकड मगांऊ रे गवालिया
             आवो रावण सरीखा लख मारिया
थारो कस कतरिक सेजे वार आवो सरसत मलियाओ राधे गोविंदा
              आवो दास मीराबाई री विनंत्ती

“जल झुलनी मे वापस आते समय वाग | रेतुली राईण के पास बोले जाने वाला भजन”

ए एक सुणोनी ब्रजनारी ओ एक वात सुणोनी ब्रजनारी
ए चालो सखी आपा पाण्याने चाला ओढ़ कसुम्बल सारी
..................ओ एक वात सुणोनी ब्रजनारी
ओ सोना रुपारी गागर लीनी इंडोरणी अब न्यारी ओ
................एक वात सुणोनी ब्रजनारी
ए खास समन्द माए मीठी जो वेरी नीर भरे पनिहारी
...............ओ एक वात सुणोनी ब्रजनारी
ए आपजे छोटा ने गागर भारी कौन उचावण आई
................ओ एक बात सुणोनी ब्रजनारी
ए सुरदास प्रभु तुमरे भजन को तुम जीव्या हुम हारी
डे ओ एक वात सुणोनी ब्रजनारी है

"बारह मास भजन”

राजा रे प्यारा माने लागो ओ राजा रुपजी
राजा रे आमा तो सामा दोई देवरा
राजा रे सुरज सामी ओ सेजे पोल प्यारा माने लागो ओ राजा रुपजी
राजा रे वागो बिराजे प्रभु केशरिया
राजा रे माथे है पसरंग सेजे पाग प्यारा माने लागो ओ राजा रुपजी
राजा रे मोर मुकूटरी शोभा वरणी
राजा रे कुण्डंल झलके सेजे कान प्यारा माने लागोओ राजा रुपाजी
राजा रे सरिया कटारो सोवे वाकलो
राजा रे असल सिरोही तलवार प्यारा माने लागो ओ राजा रुपजी
राजा रे हाथा में सोवे रंगभर सेलडा
राजा रे असल गेडारी ओ ढाल प्यारा माने लागो ओ राजा रुपजी
राजा रे कोट बिराजे प्रभु कांगरा
राजा रे हस्ती घुमेओ दरबार प्यारा माने लागोओ राजा रुपजी
राजा रे दशम रेवाडी प्रभु निकले
राजा रे दूरा देशा रा आवे जावरु
राजा रे गोसुन्डो मथुरा वण्यो
राजा रे दास मीराबाई री विनंत्ती

“प्रत्येक दसम (१०) को अंतिम में बीरघंटा के नीचे बोली जाने वाली आरती (विदाई) ”

ए गावो नी मंगल गावो नी वदइयो
ए कलश बन्दावो नन्दलाल ए तो घर आया जी
ए पुसब वन्दावो नन्दलाल ए तो घर आया जी
ए राजा धनुष धरयो धरतीपरे
ए वडा रे वडा ए जो घर पुरियाओ माराज मलज्यो मेरा मोहन
ए तोडयो धनुष जनक सुख पाये
ए परणे पधारो राजा रुप रे दरबार ओ माराज मलज्यो मेरा मोहन
ए ढलकती ढाल फरुकत नेजा
ए मोलत ए आरकियो ए आरकियो
ए नारद मुनी जाणे शीश माए मरे
ए चल सखी उस रथ रंग मे बरे
ए रंग महल में काईमल काईमल मोतियन कियो सीताम्बर
के मल गावो ए नार अयोध्या पूर की ।।
ए अग्रदास को सल्यारा सतगुरु के मल मोतियन कियो
सीताम्बर के मल गावो ए नार अयोध्या पूर की ||